गत शनिवार, 9 नवम्बर, 2019 को सुबह 10:30 पर आए राम मंदिर के फैसले, 13 नवम्बर को CJI दफ्तर को RTI के दायरे में लेने के फैसले एवं 14 नवम्बर को राफेल की पुनर्विचार याचिका को खारिज करने, अवमानना याचिका में राहुल गांधी को चेतावनी एवं सबरीमाला के विवाद को सिर्फ एक धर्म एवं मंदिर तक सीमित न रख सभी धर्मों एवं पूजा एवं प्रार्थना स्थलों में चली आ रही प्रथाओं एवं महिलाओं के अधिकारों पर विचार हेतु वृहद पीठ को प्रेषित किया गया।
सबरीमाला विवाद और लेफ्ट प्रोपेगैंडा
खुद को आधुनिक बताने वाले वामपंथी वैसे तो धर्म को अफीम बता कर सदैव धर्म, विशेषकर हिन्दू धर्म, का मजाक बनाते रहे है। हिन्दू धर्म की परम्पराओं का दकियानूसी एवं अंधविश्वास बताने का इन कथित आधुनिक वामपंथियों में पुराना कीड़ा रहा है लेकिन जैसे ही बात मुस्लिम, ईसाई या अन्य पन्त की परंपराओं की होती है, ये वामपंथी इधर उधर मुंह छुपाने लगते है। यहां तक कि कई सोशल मीडिया पर खुल कर आरोप भी लगाने लग गए। ऐसे ही न्यायपालिका पर आरोप लगाने वाले ट्विट्स-
Naked truth :
A judge was indulged in sexual harassment case and to save his ass he preferred to destroy
whole justice system of India.
What a shame. #Rafale#AyodhyaVerdict#Sabrimala
— Amber (@AmberShrma) November 14, 2019
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कथित पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी भी सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बर्दास्त नहीं कर पाई और सुप्रीम कोर्ट को घेरने के लिए एक के बाद एक ट्वीट कर अपना विरोध दर्ज करवाया।
The #SabarimalaVerdict is absolutely discriminatory. The rule of law & justice cannot be based on mobs & pander to them. The SC has let India down
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इन सबसे आगे बढ़ अपने प्रोपेगैंडा के लिए कुख्यात बरखा दत्त ने तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला मसले को वृहद पीठ को सौंपने के निर्णय पर अपनी कुंठा समान नागरिक संहिता विषय पर निकाली और ट्वीट किया-
Disappointing that the Supreme Court could not stand by its own verdict on #Sabarimala - as the matter gets referred to a larger bench. We cant be talking about a Uniform Civil Code if we still believe that menstruating women should keep away from some temples. Sorry. #WeTheWomen
It is patently immoral and absurd to hold menstruating women as "impure" and justify discrimination against them. If a shrine is a public place, it cannot discriminate on grounds of any "impurity" arising from gender, caste or religion or bodily function. #SabarimalaVerdict
वास्तव में इन झोलाछाप पत्रकारों और लेफ्ट लिबर्ल्स की रुचि भगवान अयप्पा के मंदिर में जाकर पूजा करने की नहीं अपितु सिर्फ और सिर्फ हिन्दू धर्म की परंपराओं को येन केन प्रकारेण दूषित करने की है। जब भी इन लोगों से मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश की बात पूछो तो इनका पारा चरम पर होता है।
वैसे देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की वृहद पीठ के निर्णय के बाद इन लोगों की प्रतिक्रिया क्या होती है!
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